Menu

वस्त्र अनुसंधान संघ

अटिरा

अटिरा – भारत में वस्‍त्र अनुसंधान एवं संबद्ध उद्योगों का एक संघ है जिसकी स्‍थापना 13 दिसंबर, 1947 को की गई थी। अटिरा परिसर की आधारशिला दिनांक 1 नवंबर, 1950 को सरदार वल्‍लभभाई पटेल द्वारा रखी गई थी जिसका निर्माण 10 अप्रैल, 1954 को पूरा हो जाने पर उद्घाटन भारत के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था। डॉ. विक्रम साराभाई ने इसके प्रथम मानद निदेशक के रूप में कार्य किया।। अटिरा भारतीय प्रबंधन संस्‍थान, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और गुजरात विश्‍वविद्यालय जैसे कई प्रमुख अनुसंधान और शिक्षण संस्‍थाओं के निकट स्थित है।

पता:
अम्‍बावाड़ी विस्‍तार, विश्‍वविद्यालय क्षेत्र, अहमदाबाद, गुजरात 380015


बॉम्‍बे वस्‍त्र अनुसंधान संघ (बिटरा)

बॉम्‍बे वस्‍त्र अनुसंधान संघ (बिटरा) का पंजीकरण ज्ञापन और संस्‍था के अंतर-नियमों में योगदान करने वाली 9 मिल कंपनियों के साथ 21 अप्रैल, 1954 को सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के XXI के अंतर्गत मिल मालिक संघ, बॉम्‍बे के सदस्‍यों द्वारा किया गया था।

भारतीय वस्‍त्र उद्योग की प्रौद्यागिकी आवश्‍यकताओं को पूरा करने और राष्‍ट्रीय तर पर स्‍थापित एसएनटी उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए बिटरा ने 1954 में अपने आरंभ के समय से ही वर्ष-दर-वर्ष प्रगति किया है। बिटरा के सदस्‍यों में न केवल वस्‍त्र इकाइयां (मिल क्षेत्र और विकेंद्रीकृत क्षेत्र से) बल्कि मानव निर्मित फाइबर, मशीनरी, डाई और रसायन सहयोगी उद्योगों के विनिर्माता भी शामिल हैं। बिटरा के अंतर्गत व्‍यापक रूप से कंपोजिट मिलें और शामिल थीं और उनकी व्‍यापक आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए शुरूआत से ही आरएंडडी और सेवाओं को सुलभ बनाया गया था।

पता:
बॉम्‍बे वस्‍त्र अनुसंधान संघ,
लाल बहादुर शास्‍त्री मार्ग,
घाटकोपर (वेस्‍ट), मुंबई - 400 0861


सिटरा, दक्षिण भारत वस्‍त्र अनुसंधान संघ

सिटरा, दक्षिण भारत वस्‍त्र अनुसंधान संघ जिसकी स्‍थापना 1956 में की गई थी, को प्रशासन परिषद द्वारा अभिशासित किया जाता है जिसमें उद्योग, सरकार और वैज्ञानिकों के प्रतिनिधि सदस्‍य होते हैं। सिटरा को उद्योग द्वारा प्रायोजित किया जाता है और वस्‍त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

लगभग 13.14 हेक्‍टेयर के कैंपस वाले सिटरा में कई वस्‍त्र मिलों द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। लगभग 15,000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल वाले सिटरा में इसकी सुसज्जित परीक्षण, इलैक्‍ट्रानिक और केलीब्रिशन प्रयोगशालाएं, प्रोयोगिक मिलें, पुस्‍तकालय आदि हैं। सिटरा में पर्याप्‍त मात्रा में महत्‍वपूर्ण वस्‍त्र परीक्षण यंत्र और आधुनिक मशीने हैं और यह विश्‍व के श्रेष्‍ठ सुसज्जित वस्‍त्र अनुसंधान संघों में से एक है। .

पता:
13/37, अविनाशी रोड,
कोयम्‍बटूर, एरोड्रम पोस्‍ट, कोयम्‍बटूर – 641 014


उत्‍तर भारत वस्‍त्र अनुसंधान संघ (निटरा)

उत्‍तर भारत वस्‍त्र अनुसंधान संघ (निटरा) जो आईएसओ 9001:2008 द्वारा प्रमाणित है। देश की प्रमुख वस्‍त्र अनुसंधान संस्‍थाओं में से एक है। वस्‍त्र उद्योग और वस्‍त्र मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रायोगिक वैज्ञानिक अनुसंधान करने तथा भारतीय वस्‍त्र उद्योग को सहायक सेवाएं मुहैया कराने के लिए 1974 में संयुक्‍त रूप से निटरा की स्‍थापना की। यह संगठन राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र नई दिल्‍ली के निकट एनसीआर गाजियाबाद में स्थित है। यह 50 एकड़ क्षेत्रफल में हरे-भरे परिसर में फैला हुआ है। वर्तमान में निटरा के कार्यकलापों में अनुसंधान एवं विकास, तकनीकी परामर्श, सामग्रियों की गुणवत्‍ता का मूल्‍यांकन, जनशक्ति का प्रशिक्षण और तकनीकी पुस्‍तकों तथा कागजातों का प्रकाशन करना शामिल है। निटरा की स्‍थापना वस्‍त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सुरक्षात्‍मक वस्‍त्र के लिए उत्‍कृष्‍ट केंद्र के रूप में की गई है। इसमें सुरक्षात्‍मक वस्‍त्र के क्षेत्र में गुणवत्‍ता मूल्‍यांकन, उत्‍पादन के विकास और ज्ञान के प्रसार के लिए विशेषज्ञता और तकनीकी क्षमता है। नए विचारों/प्रौद्यागिकियों के उद्भवन के लिए उद्यमियों को आवश्‍यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए इसमें एक उद्भवन केंद्र भी है। इस केंद्र की स्‍थापना वस्‍त्र मंत्रालय, भारत सरकार की वित्‍तीय सहायता से की गई थी।

निटरा ने वर्ष 2011-12 से आईएसडीएस के अंतर्गत वस्‍त्र मंत्रालय से और एएसआईडीई योजना के अंतर्गत उत्‍तर प्रदेश राज्‍य सरकार से प्राप्‍त अनुदानों से अपने नए शिक्षण विंग, निटरा तकनीकी कैंपस खोला है ताकि अपने विभिन्‍न प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सुविधा प्रदान की जा सके। नया कैंपस वस्‍त्र और अपैरल उद्योग में काम करने वाले कामगारों के कौशल विकास और कौशल उन्‍नयन के लिए एकीकृत कौशल विकास योजना (आईएसडीएस) के अंतर्गत 100 से अधिक कार्यक्रमों की पेशकश करता है। यह कैंपस युवाओं के लिए वस्‍त्र प्रौद्योगिकी और कम्‍प्‍यूटर विज्ञान एंव इंजीनियरिंग तथा फैशन रिटेल मैनेजमेंट (एफआरएम) के संबंध में पीजीडीएम में बी-टेक कार्यक्रम की भी पेशकश करता है।

पता:
सेक्‍टर 23, राजनगर, गाजियाबाद – 201002


सिंथैटिक एंड आर्ट सिल्‍क मिल्‍स रिसर्च एसोसिएशन (ससमीरा)

सिंथैटिक एंड आर्ट सिल्‍क मिल्‍स रिसर्च एसोसिएशन (ससमीरा) की स्‍थापना 1860 के सोसाइटी अधिनियम XXI के अंतर्गत प्रदान किए गए 1949-1950 के पंजीकरण संख्‍या 2505 के अंतर्गत 12 जनवरी, 1950 को की गई थी और अपने वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकी आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए बहुकार्यात्‍मक संस्‍थान के रूप में स्‍वतंत्रता के पश्‍चात भारत के मानव निर्मित वस्‍त्र उद्योग द्वारा स्‍थापित यह एक को-ऑपरेटिव उद्यम है।

उस समय सिल्‍क एंड आर्ट सिल्‍क उद्योग के अग्रणियों में को-ऑपरेटिव अनुसंधान संघ का निर्माण करने के लिए चलाए गए दुर्लभ दूरदर्शी प्रस्‍ताव वाली कई छोटी इकाइयां शामिल थीं।

इस प्रस्‍ताव का समर्थन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और अन्‍य सरकारी एजेंसियों द्वारा किया गया था जिन्‍होंने ससमीरा की स्‍थापना की जिसे पूर्व में सिल्‍क एंड आर्ट सिल्‍क मिल्‍स रिसर्च एसोसिएशन के नाम से जाना जाता था।

नए दौर के साथ चलते हुए ससमीरा ने वर्ष 2000 में अपनी स्‍वर्ण जयंती में प्रवेश किया। मुंबई शहर के बीच वरली में स्थित ससमीरा का भवन लगभग 12000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसकी परिकल्‍पना 1950 में की गई थी और जिसे 1958 में पूरा किया गया था। सिल्‍क और आर्ट सिल्‍क सामग्रियों के परीक्षण के साथ शुरूआत करते हुए ससमीरा ने मानव निर्मित वस्‍त्र उद्योग की बदल रही आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए उसके बाद से अपने कार्यकलापों को बढ़ाया और अपने उद्देश्‍यों को पूरा कर रही है।

पता:
दि सिंथैटिक एंड आर्ट सिल्‍क मिल्‍स रिसर्च एसोसिएशन (ससमीरा)
ससमीरा मार्ग, वरली, मुंबई - 400030


मानव निर्मित वस्त्र अनुसंधान संघ

द‍क्षिण गुजरात में सूरत शहर के चारों ओर बढ़ रहे मानव निर्मित वस्‍त्र उद्योग की निरंतर बढ़ रही गुणवत्‍ता नियंत्रण आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए 1970 के उत्‍तरार्ध में इस क्षेत्र में पूर्णतया विकसित स्‍वतंत्र अनुसंधान संघ की स्‍थापना करने का विचार प्रस्‍तुत किया है। अन्‍य राष्‍ट्रीय वस्‍त्र अनुसंधान संघों की भांति मंतरा की स्‍थापना की जानी थी।

इसकी स्‍थापना अनुसंधान और विकास क्रियाकलाप करने तथा दक्षिणी गुजरात में विशेष रूप से मानव निर्मित फाइबर वस्‍त्र उद्योग तथा सामान्‍य रूप से अन्‍य संबद्ध उद्योगों के लिए परीक्षण तथा तकनीकी सेवा सुविधाएं प्रदान करने के लिए की गई थी।

पता:
मानव निर्मित वस्‍त्र अनुसंधान संघ संघ
टेक्‍सटाइल मा‍र्केट के निकट, टेलीफोन एक्‍सचेंज,
रिंग रोड, सूरत – 395 002,
गुजरात


भारतीय जूट उद्योग अनुसंधान संघ (आईजेआईआरए)

भारतीय पटसन उद्योग अनुसंधान संघ (इजिरा) की स्‍थापना 1937 में की गई थी। भारतीय पटसन उद्योग और सरकारी एजेंसियों जो घरेलू बाजार में भारतीय पटसन का संवर्धन कर रही थी और अन्‍य देशों को निर्यात कर रही थी, को सेवाएं प्रदान करने के लिए पहला को-ऑपरेटिव आरएंडडी संगठन है। वर्ष 1937 में आईजेएमएआरआई के रूप में शुरू हुआ ये संस्‍थान कई वर्षों में विकसित हुआ है।

भारतीय पटसन उद्योग अनुसंधान संघ (इजिरा) का पटसन की दुनिया में अनूठा स्‍थान है। पटसन उद्योग के हितों की देखरेख करने के लिए यह अपनी किस्‍म का पहला आरएंडडी संगठन था। कई दशकों से यह इस उद्योग और देश को स्‍वेच्‍छा से सेवा प्रदान कर रहा है। अपने स्‍थापना के 75 से अधिक वर्षों में इस संस्‍थान द्वारा कई कार्य किए गए हैं। अच्‍छे प्रशासन की सहायता से वैज्ञानिकों एवं प्रौद्योगिकीविदों के एक नए समूह के साथ इजिरा अब एक नई ऊंचाई को प्राप्‍त कर चुका है। मैं इजिरा के वर्तमान और भावी प्रयासों के लिए इस संस्‍था को अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

इजिरा के पास इस उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के विभिन्‍न विषयों पर विगत वर्षों में विभिन्‍न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने का काफी अनुभव है। पिछले तीन दशकों में इजिरा ने 50,000 से अधिक प्रशिक्षुओं को स्पिनिंग, विविंग, रसायन प्रसंस्‍करण, गुणवत्‍ता जांच और विविधीकृत उत्‍पादों जैसे विभिन्‍न पटसन संबंधी पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान किया है।

पता:
भारतीय पटसन उद्योग अनुसंधान संघ
17, ताराताला रोड़,
कोलकाता – 700 088, पश्चिम बंगाल, भारत


ऊन अनुसंधान संघ

ऊन अनुसंधान संघ की स्‍थापना 1963 में हुई थी और यह ऊन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एकमात्र राष्‍ट्रीय संस्‍थान है जो मुंबई से लगभग 35 किमी. दूर एक हरित पट्टी में स्थित है। डब्‍ल्‍यूआरए, देश के व्‍यापारिक क्रियाकलाप का एक केंद्र है। यह दो राजमार्गों से भी भली-भांति जुड़ा हुआ है। ऊन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की संकल्‍पना की शुरूआत एक दूरदृष्‍टा ऊनी उद्योगपति द्वारा की गई थी और डब्‍ल्‍यूआरए की स्‍थापना वी.जे.टी.आई. मुंबई के परिसर में एक सुविख्‍यात वस्‍त्र प्रशिक्षण संस्‍थान में की गई थी। शुरूआती दौर में इसमें एक छोटी प्रयोगशाला तथा कुछ अकादमिक सुविधाएं मौजूद थीं जिनके माध्‍यम से वस्‍त्र में डिप्‍लोमा (ऊन) प्रदान किया जाता था। डब्‍ल्‍यूआरए अनुप्रयोगी अनुसंधान के लिए भी पहचाना गया है जिससे मुंबई विश्‍वविद्यालय की एमएससी और पीएचडी पर डिग्रियां भी प्रदान की जाती हैं।

इसकी प्रगति से प्रभावित होकर बहुत से उद्योगपतियों ने इसमें रूचि दिखाई और उन्‍होंने ऊन के सभी पहलुओं पर कार्य करने वाले सुविधायुक्‍त ऊन संस्‍थान के लिए 1980 में 75,000 वर्ग गज की जमीन इस प्रयोजनार्थ खरीदी। बाद में 1983 में मुख्‍य भवन का निर्माण किया गया। 1993 में एक प्रायोगिक संयंत्र अस्तित्‍व में आया। 1996 में निर्यातकों की सहायता, पर्यावरण एवं वस्‍त्र प्रदूषण को रोकने, खाद्य एवं दवा विश्‍लेषण के उद्देश्‍य से डाई और रसायनों के सूक्ष्‍म विश्‍लेषण के लिए आवश्‍यक अवसंरचना के सृजन के लिए अत्‍याधुनिक नेशनल इकोलोजिकल टेस्टिंग लैबोरेट्री की स्‍थापना की गई।

पता:
ऊन अनुसंधान संघ, अकबर कैंप रोड, पी.ओ. सैंडोज बाग कोलशेट रोड, ठाणे – 400 607

Close


Close
Scroll To Top